Monday 16 March, 2009

मैं कहाँ लिखती हूँ

मैं कहाँ लिखती हूँ

बस दिल की दो बातें कहती हूँ

मन के दर्पण की तस्वीर बनती हूँ

अपनी कलम की कहानी कहती हूँ

नज़रों के नज़रों को बयां करती हूँ

ज़माने के सच को बताती हूँ,

दिल के अरमान बताती हूँ

मैं कहाँ लिखती हूँ

बस दिल की दो बातें कहती हूँ।

अपने जज्बातों को ज़ुबान देती हूँ

कुछ खट्टे मीठे पलों को संजोती हूँ

ज़िन्दगी के लम्हों को शब्दों मैं कैद करती हूँ

सागर की लहरों पर काव्य लिखा करती हूँ

आसमान की चादर पर अरमानों को लिखा करती हूँ

ज़मीन की हकीकत पर सच्चाई बुना करती हूँ

बस यूँ ही एक नगमा लिखा करती हूँ

मैं कहाँ लिखती हूँ

बस दिल की दो बातें कहती हूँ।

नहीं मैं कोई लेखक नहीं

कोई कवि, कोई महान् नहीं

बस एक कलमकार हूँ

शब्दों के समंदर मैं डूबी हूँ

कुछ नही है मेरा, इन शब्दों के अलावा

इन भावनाओं, जज्बातों के अलावा

बस शब्दों से खेला करती हूँ

मैं कहाँ लिखती हूँ

बस दिल की दो बातें कहती हूँ।

14 comments:

चिराग जैन CHIRAG JAIN said...

मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा
सब लोग अपने-अपने ख़यालों में खो गए

दिगम्बर नासवा said...

न लिखते हुवे भी बहुत सुन्दर, भावः पूर्ण, शशक्त लिखा है आपने
बधाई

वन्दना अवस्थी दुबे said...

ब्लौग-जगत में आपका स्वागत है. शुभकामनायें.

Akhileshwar Pandey said...

भावनाओं की सुंदर अभिव्‍यक्ति। शुभकामना स्‍वीकार करें। लिखते रहें।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

dil se kya khub likha aapne, good luck. narayan narayan

Abhi said...

Achchha likha hai,
kabhi yahan bhi aayen
http://jabhi.blogspot.com

Unknown said...

wah ji wahh achhi abhivayakti hai...mere chitte par bhi swagat...hai likhte raho....


jai HO Magalmay HO

Sanjay Grover said...

Q. मैं कहाँ लिखती हूँ ?
Ans. ब्लाग पर।

अभिषेक मिश्र said...

शब्दों के समंदर मैं डूबी हूँ

कुछ नही है मेरा, इन शब्दों के अलावा

इन भावनाओं, जज्बातों के अलावा

बस शब्दों से खेला करती हूँ

मैं कहाँ लिखती हूँ

बस दिल की दो बातें कहती हूँ।

Sundar abhivyakti, Swagat.

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

बहुत अच्छी रचना है । भाव और विचारों का बेहतर समन्वय है । इससे अभिव्यक्ति प्रखर हो गई है ।

समय हो तो मेरे ब्लाग पर प्रकाशित रचना-आत्मविश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग-पढ़े और अपना कमेंट भी दें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com

BrijmohanShrivastava said...

मै कोई कवि नहीं लेखक नहीं यही बात एक जमाने में गोस्वामी जी ने भी कही थी ""कवि न होऊ नहि चतुर कहावहूँ ""हर श्रेष्ठ कवि ,लेखक अपने वारे में यही कहता है और यही महानता है ,

Anonymous said...

shashakt abhivyakti.

------------------------"VISHAL"

sandeep sharma said...

अपने जज्बातों को ज़ुबान देती हूँ
कुछ खट्टे मीठे पलों को संजोती हूँ
ज़िन्दगी के लम्हों को शब्दों मैं कैद करती हूँ
सागर की लहरों पर काव्य लिखा करती हूँ...

बहुत ही सुन्दर रचना....

रवि रावत said...

अवनि अब तुम्हारा लेखन किशोर अवस्था से तरुणाई की ओर जा रहा है। मुझे खुशी है कि तुमने इतनी अच्छी कविता लिखी। गर्व भी महसूस कर रहा हूं कि मेरी दोस्त इतना अच्छा लिख सकती है। मेरी सारी शुभकामनाएं तुम्हारे साथ हैं। उम्मीद है, तुम इसी तरह, बल्कि इससे भी बढिय़ा लिखकर एक दिन अपनी 'कलम के कलमे' को सारी दुनिया तक पहंचाओगी। फिलहाल कहां हो? रेत के जंगलों में या समंदर के शहर में?