Wednesday 9 April, 2008

ज़िंदगी

लम्हा लम्हा सरकती गुज़रती है ज़िंदगी,
यादों का गुलिस्तान सजाती है ज़िंदगी,
सपनों की सौगात लाती है ज़िंदगी,
खुशियों की बारात लाती है ज़िंदगी,
लम्हा लम्हा सरकती गुज़रती है जिंदगी।


राही की मंजिल तय करती ज़िंदगी,
ख्वाबों को पूरा करती ज़िंदगी,
काँटों में फूल खिलाती ज़िंदगी,
निराशा में आशा भरती ज़िंदगी,
लम्हा लम्हा सरकती गुज़रती है ज़िंदगी।

Tuesday 8 April, 2008

गुम हो गयी आज वो राहें कहाँ

गुम हो गयी आज वो राहें कहाँ,
वो प्यार, वो प्यार वो खुशियों भरा जहाँ।
वो अमन चैन और शांति अब कहाँ,
वो गांधी के आदर्श- सिद्धांत कहाँ।
है तो बस पसरा अन्धेरा यहाँ वहाँ,
गुम हो गयी आज वो राहें कहाँ॥


गुम है राम- राज्य को वो सपना,
गुम है वसुधैव कुटुम्बकम अपना
वो देश को स्वर्ग बनने की बात,
विश्वगुरु , धर्मगुरु बनाने की बात।
वो देश को सोने की चिडिया बनाने की बात॥
है बस भ्रष्टाचार यहाँ वहाँ,
गुम हो गयी आज वो राहें कहाँ ,
वो प्यार वो खुशियों भरा जहाँ कहाँ॥