Saturday 17 May, 2008

हम कायर नहीं हैं

जयपुर में विस्फोट हुआ
चीन में भूकंप आया
म्यांमार में तूफ़ान आया
भारत में आतंकवाद का साया
हमने सब आंखों से देखा
देखा और बस भुला दिया
बन्धु हम कायर नहीं हैं
लेकिन हममें सब से लड़ने की क्षमता नहीं है।


अपनी माँ- बहन का अपमान सहा
देश का, कौम का विद्रोह सहा
अपनों के हाथों नीलाम रहा
गैरों से घर आबाद रहा
यह सब कुछ होने पर भी कुछ न कहा
दो आंसू बहाकर चल दिया
जो भी हो हम कायर नहीं है
शायद इस दुनिया को हमारी ज़रूरत नहीं है।



हम कायर हरगिज़ नहीं हैं

अपनी नज़रों में बिल्कुल नहीं है

हम बस ज़माने से हारे हैं

सिर्फ़ एक कलम के सहारे हैं
कलम को भी आजकल कौन पूछता है
कोने मैं बैठा अपनी तन्हाई में जीता है
जो भी हो हम कायर नहीं हैं
पर शायद एक निरीह शायर से कम भी नहीं है।

1 comment:

आशीष कुमार 'अंशु' said...

कायर नहीं, कहने से नहीं होगा,

साबित करना होगा