Tuesday, 8 April 2008

गुम हो गयी आज वो राहें कहाँ

गुम हो गयी आज वो राहें कहाँ,
वो प्यार, वो प्यार वो खुशियों भरा जहाँ।
वो अमन चैन और शांति अब कहाँ,
वो गांधी के आदर्श- सिद्धांत कहाँ।
है तो बस पसरा अन्धेरा यहाँ वहाँ,
गुम हो गयी आज वो राहें कहाँ॥


गुम है राम- राज्य को वो सपना,
गुम है वसुधैव कुटुम्बकम अपना
वो देश को स्वर्ग बनने की बात,
विश्वगुरु , धर्मगुरु बनाने की बात।
वो देश को सोने की चिडिया बनाने की बात॥
है बस भ्रष्टाचार यहाँ वहाँ,
गुम हो गयी आज वो राहें कहाँ ,
वो प्यार वो खुशियों भरा जहाँ कहाँ॥

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